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Hindi Sex Story विधवा के गदराए चूतड़

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Oct 16, 2021
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"विधवा के गदराए चूतड़" स्कूल टीचर अंशु की सच्ची कहानी है। कहानी में अंशु की सम्पूर्ण जवानी का सचित्र वर्णन है। इस कहानी के माध्यम से अंशु के यौवन का सजीवता से वर्णन किया गया है।

चेतावनी:​


कहानी अकेले में पढ़े।

Warning: "The Widow's Grumpy Bum" is the true story of school teacher Anshu. The story has a pictorial description of Anshu's entire youth. Anshu's youth has been vividly described through this story.​
 
भाग एक: नितम्भ सौंदर्य
#मटकाती #जवांचूतड़ #उठेचूतड़ #गदरायीगांड


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अंशु उम्र 39 साल, लंबा कद, गोरा रंग, काले बाल, पतली कमर, सामान्य से कुछ बढ़े हुए स्तन, और थोड़ा सा ऊपर उठे हुए गुंदाज़ नितम्भ। अंशु विधवा है, और एक प्राइवेट स्कूल में इंग्लिश टीचर है। जो हमारे शहर से 50 किलोमीटर दूर हाइवे के किनारे स्थित है। वही अंशु स्कूल के फ्लैट में रहती है। रिश्ते में वो मेरी चचेरी बहन है, और उसकी माँ का घर मेरे घर के पास ही है।

आज जैसे ही मुझे पता चला कि वो अपनी माँ के घर आई है, मैं उसके घर पहुच गया, मैंने गेट पर से आवाज़ दी, अंशु कमरे से निकली, गेट खोला मुझे देख कर मुस्कुराई और बेपरवाही से मटकती हुई वापस कमरे की तरफ बढ़ चली, तभी मेरी नज़र उसके नितंबों पर पड़ गयी। उसके #जवान चूतड़ काफी बड़े और बाहर निकले हुए थे, और पतली कमर के दुगने चौड़े फैले भी थे। उसके चलने से उसके बड़े और गोल चूतड़ ऊपर नीचे हो रहे थे, और इतने कसे थे कि आपस मे रगड़ रहे थे। उसकी कुर्ती उसके बड़े नितंबो के ऊपर टंगी लग रही थी। मेरा लिंग तुरंत तन गया।
 
जवान विधवा औरत अंशु की गोरी गदराई गाँड़ को फैला कर मैं उसकी गाँड़ के छेद में अपनी जुबान डाल कर चाटना चाहता था। पर मैं उसका भाई लगता था, पर सपना देखने में क्या बुराई है।

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भाग 2: विधवा की गदराई जवानी
अंदर आ जाओ भाई... अंशु बोली...
मम्मी, मौसी के घर गयी हैं, मैं अकेली हूं घर पे। नहाने जा रही हूं, तुम बैठो, टीवी देखो...एक सांस में बोल गयी वो।

ठीक है, मैं धीमे से मुस्कुरा कर बोला।


मैंने अंदाज़ा लगाया कि आज छुट्टी है, पूरे हफ्ते बिजी रहने के बाद आज इस गदराई औरत को अपने जिस्म का खयाल रखने का टाइम मिला होगा। क्योंकि अंशु काफी फैशनबल और घमंडी औरत है, तो आज तो वो मौका नही छोड़ेगी।

12 बज रहे थे, काफी तेज धूप थी, हर तरफ सन्नाटा था,
मैंने इधर उधर देखा, कोई नही था, थोड़ा आगे बढ़कर उसके रूम की विंडो जो बाहर की तरफ खुलती थी, खुली हुई थी विंडो के बाहर पतली से गैलरी थी, जहां एक क्लॉथ स्टैंड रखा था, जो शायद अंशु का था, उस पर 2 पैंटी, 3 ब्रा जो सूख चुकी थी लटकी थी। मैंने खिड़की से अंदर झाँक कर देखा, कमरा खाली था, सामने किचन भी खाली था। खिड़कियों के बगल में ऊपर की तरफ एक रोशनदान था, जो बाथरूम का था। ध्यान से सुनने पर उसमे शावर की आवाज़ आ रही थी। मैंने इधर उधर देखा कोई नही था, गैलरी के सामने एक नीम का बड़ा पेड़ था, तो काफी आड़ थी, मैंने एक पैर गैलेरी की रेलिंग पर रखा, एक हाथ से खिड़की की रॉड को कस के पकड़ा, और रोशनदान तक पहुच गया, बहुत सावधानी से अंदर झांका, अंशु का सर दिखा जिस पर शावर से पानी गिर रहा था। और वो बालों पर शैम्पू लगा रही थी। मेरा दिल जोर जोर धड़कने लगा। मैंने दोनों पैर खिड़की के ऊपर रॉड पर रखे और रोशनदान की एक सरिया को कस के पकड़ा अब मेरा सर बिल्कुल रोशनदान पर था, इसमे एक एग्जॉस्ट फैन लगा था जो बन्द था। अब मैंने अंदर देखा, मेरा दिमाग भक्क से उड़ गया।

अंशु बिल्कुल नंगी नहा रही थी। 5 फ़ीट 5 इंच का इखेहरा मगर गदराया बदन, गोरा रंग, पूरे बदन पर एक भी बाल नहीं, बिल्कुल चिकनी चमकती गोरी गुलाबी जवानी, लंबे काले बाल, गुलाबी होंठ, बड़ी बड़ी चुचियाँ, हल्के भूरे रंग के बड़े निप्पल, जो बिल्कुल तने हुए थे। पतली सुडौल कमर, गोल नाभि, बिल्कुल चिकना गोरा कटी प्रदेश, चौड़ी कमर, फूली गोरी योनि, जिसके बीच मे थोड़ा सा खुले हुए योनि के होंठ। विशाल, चर्बी चढ़े गोरे चूतड़। जो काफी बाहर निकले थे। मोटी जांघे, पर सुडौल पिंडलियां।

 
मेरा लिंग अकड़ने लगा, मेरा दिमाग जम गया, इतनी सुंदर, सुगठित, सुडौल जवान औरत की नग्न अवस्था। पूरे बदन पर एक भी धागा नही, बिल्कुल नेचुरल। कुछ पल अपनी चचेरी बहन को बिल्कुल नंगा देखकर ख़ुद को संभाला, और पूरे बाथरूम का मुआयना किया, हेयर रिमूविंग क्रीम, मसाज क्रीम, स्क्रब, कोलन वाटर आदि रखे थे।
एक बड़ा सा टॉवल गाउन भी था, पर कोई इनरवेर नही थे, मैं समझ गया कि पैंटी और ब्रा तो बाहर पड़े हैं, एक प्लान बनाया मैंने, चुपचाप नीचे उतर कर पैंटी और ब्रा को लेजाकर अपनी गाड़ी में छुपा दिया। फिर वापस आकर उसी तरह रोशनदान से झाँकजर अंशु को कॉल किया, अंशु नहा चुकी थी, और एक टॉवल कमर में लपेट रही थी, उसके स्तन बिल्कुल नग्न थे। उसका फ़ोन बजा, वो बाथरूम से बाहर निकली, और फ़ोन उठाया, दरवाज़ा खुला रहने के कारण मुझे वो दिख रही थी, सिर्फ टॉवल लपेटे थी, और एक शीशे के आगे खड़ी होकर कॉल उठा कर बोली। शीशे में वो अपनी एक बाँह ऊपर करके अपनी बगल को देखती हुई बोली: हेलो...

हेलो, अंशु, मैं यहाँ आया था किसी काम से, सोचा तुमसे मिलता चलूंगा। बाहर खड़ा हूँ, डोर पर, खोलो आकर।

अंशु कस के चौंकी: हांहां, आ रही हूं 2 मिनट रुको प्लीज। वो तेज़ी से बाथरूम में आई, उसकी चुचियाँ ज़ोर ज़ोर से उछल रही थी, उसने तुरंत टॉवल गाउन पहनी और उसकी बेल्ट कस के बांध ली, तब तक मैं दरवाजे पर पहुच गया।

उसने दरवाज़ा खोला, एक फ्रेश खुशबू का अहसास किया मैंने।

आओ अंदर आओ। अंशु बोली और साइड में हट गई!

अकेले आये हो। अंशु ने पूछा।

हां, मैंने जवाब दिया।

अंशु ने बाहर जाकर अपनी पैंटी-ब्रा को देखा, पर वहाँ नही मिली।

क्या हुआ अंशु?क्या ढूढं रही हो।

कुछ नहीं! कह कर अंशु अंदर आ गयी और दरवाज़ा बन्द किया और बोली, बैठो, खड़े क्यों हो।

अंशु ने अलमारी से एक लोअर और टीशर्ट निकली और बाथरूम में जाकर पहन ली, वो वापस आयी तो कुछ संकोच में थी, क्योंकि उसने ब्रा और पैंटी नही पहनी थी।

अंशु की चुचियाँ कुछ लटकी हुई थी, पर चूतड़ लोअर में बिल्कुल कसे हुए थे। वो किचन के प्लेटफॉर्म पर खड़ी कुछ कर रही थी। उसकी पीठ मेरी तरफ थी। अंशु के बिना पैंटी के नितम्भ काम करने के वजह से थरथरा जाते थे। और जैसे मुझसे कह रहे थे कि क्या तुम अपनी जवान बहन के इन गदराए नितंबो को प्रेम नही करोगे भाई। अपने सख़्त मोटे लिंग से गाढ़े वीर्य की धार से अपनी बहन के गुदा छिद्र को भर नहीं दोगे। तुम्हारी युवा विधवा बहन को तुम्हारे गाढ़े गरम वीर्य की बहुत जरूरत है।
 
भाग 3: विधवा से संभोग सुख
क्या सोच रहे हो...कुछ लोगे क्या? अंशु की आवाज़ से मैं विचारों से बाहर आया।

लूंगा क्या, जो दे दो..मैंने कहा।

चाहता तो मैं अपना सख़्त लण्ड तुम्हारी गीली चूत में डालकर तुम्हारा पानी निकालना हूं। मैंने मन में सोचा।

अंशु हँसी और बोली अच्छा!! क्या लोगे बोलो। दे दूंगी।

हम दोनों हँसने लगे। अंशु अपना काम करने लगी।

मैंने एक प्लान बनाया की अगर अंशु के निप्पल किसी तरह दो तीन बार रगड़ दिए जाएं, और एक दो बार इसके मोटे चूतड़ों पर तेज थप्पड़ मारा जाएं, तो अंशु उज्जेजित हो सकती है, क्योंकि विधवा जवान औरत को रोज तो लंड नसीब नही होता, कभी कभी कोई रिश्तेदार मिल जाता है अकेले, तो जवानी का पानी निकाल देता है।
और अगर उसके बाद इसकी बगलों में गरम फूंक मारी जाए तो शायद ये मुझसे चुदवा लेगी। पर ऐसा होगा कैसे? प्लान तो था!

मैंने देखा कि बाथरूम के दरवाजे के पास दो दिन छोटे छोटे कॉकरोच हैं। मैंने चुपचाप उन्हें उठाया और चुपचाप अंशु की पीठ पर छोड़ दिया। जैसे ही वो रेंगते हुए अंशु की छाती पर पहुँचे, अंशु ज़ोर से चिल्लाने लगी, बस मैं दौड़ता हुए पहुँचा और पीछे से अंशु के दोनों स्तनों को दबोच लिया इससे पहले वो कुछ समझती की मैंने दोनों चुटकियों में उसके निप्पलों को पकड़ा और ज़ोर ज़ोर से मसलने लगा।
मेरा लिंग उसके फुले हुए नितम्बो की दरार में रगड़ रहा था।

आह उम्म हाए...मा...उफ्फ... अंशु की आह निकल गयी...छोड़ो मुझे प्लीज।
अंशु..मैंने दोनों को कस के मसल दिया।
हां, वो तो दिख रहा है। चलो जाओ बैठो जा कर।
मैं वापस पलटा और फिर झूठमूठ चिल्लाया...अरे अंशु, तुम्हारी कमर पर बड़ा कॉकरोच है।
अंशु चिल्लायी... जल्दी भगाओ उसे!!!
बस..मैंने तुरंत अंशु का लोअर नीचे खींच दिया, अंशू के सुडौल नितंब और मांसल जाँघे निवृत्त हो गयी। वो कुछ समझ पाती, की मैंने उसके बाएं चूतड़ पर कस के एक थप्पड़ मारा।
आह...अंशु दर्द से चिंहुक गयी।
मैंने उसके दायें चूतड़ पर फिर एक कस के थप्पड़ मारा और नितंबो को सहलाने लगा।
उम्म ह्म्म्म उम्म मम ...अंशु की मादक सीत्कार निकल गयी। वो बोली भाग गया न।
हांहां, मैं उसके लाल हो गए नितंबो को खूब दबा कर सहला रहा था।
ठीक है, बस करो, कह कर अंशु ने अपना लोअर ऊपर कर लिया...
थैंक यू। अंशु मुस्काई।
ये तो मेरा फ़र्ज़ है। अरे एक मिनट।
क्या हुआ??
ज़रा अपने दोनों हाथ ऊपर करो!!
क्यूँ?वो स्लीवलेस टीशर्ट पहने थी, तो उसे संकोच हुआ।
जल्दी करो, प्लीज अंशु।
अंशु ने हाथ ऊपर किये तो मैंने बारी बारी से उसके दोनों बगलों में अपनी सांस की गरम भाप डाली।
अंशु ने जल्दी से अपनी बाहें नीचे की और मुझे गुस्से से देखा और अपने नीचे के होंठ को चबाती हुई बोली...जाओ बेड पर बैठो।
क्या हुआ अंशु? मैंने मुस्कुराते पूछा।
कुछ नहीं...जाओ...काम करने दो।

क्या सोचकर तुमने मुझे टच किया। मैंने परमिशन दी तुम्हें। तुमनें तो सीधे मेरा लोअर ही नीचे कर दिया।


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अंशु गुस्से से चिल्लाई... मेरी लोअर क्यों उतारी तुमने?

मैं संकोच से बोला...नहीं, अंशु ऐसी बात नही है। वो कॉकरोच...

अंशु ने गुस्से से फुफकारते हुए अपनी टीशर्ट उतार के फ़ेक दी, उसके बड़े बड़े स्तन बाहर आकर लटक गए। साले...हिम्मत है तो बोल ...मुझे नंगा देखेगा...बोल

फिर अंशु ने जल्दी से अपना लोअर उतारकर टॉवल बांध लिया।

मुझे बहुत गुस्सा आया...

अंशु चिल्लाई...बोलो न ...क्या देखोगे?

मैं गुस्से में बोला... साली, तेरी गदराई गाँड़।

अंशु हक्का बक्का रह गयी..ओह्ह...बहन की गदराई गाँड़ देखोगे, फिर कहोगे, चोदना भी है? अंशु फिर चीखने लगी।

हां, चोदना है तुम्हें। मैं भी चिल्ला कर बोला।

अपनी टॉवल जमीन पर गिराते हुए, अंशु बिल्कुल नीचे झुक कर बोली....लो देख लो पूरा नंगा।

 
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