भाग 3: विधवा से संभोग सुख
क्या सोच रहे हो...कुछ लोगे क्या? अंशु की आवाज़ से मैं विचारों से बाहर आया।
लूंगा क्या, जो दे दो..मैंने कहा।
चाहता तो मैं अपना सख़्त लण्ड तुम्हारी गीली चूत में डालकर तुम्हारा पानी निकालना हूं। मैंने मन में सोचा।
अंशु हँसी और बोली अच्छा!! क्या लोगे बोलो। दे दूंगी।
हम दोनों हँसने लगे। अंशु अपना काम करने लगी।
मैंने एक प्लान बनाया की अगर अंशु के निप्पल किसी तरह दो तीन बार रगड़ दिए जाएं, और एक दो बार इसके मोटे चूतड़ों पर तेज थप्पड़ मारा जाएं, तो अंशु उज्जेजित हो सकती है, क्योंकि विधवा जवान औरत को रोज तो लंड नसीब नही होता, कभी कभी कोई रिश्तेदार मिल जाता है अकेले, तो जवानी का पानी निकाल देता है।
और अगर उसके बाद इसकी बगलों में गरम फूंक मारी जाए तो शायद ये मुझसे चुदवा लेगी। पर ऐसा होगा कैसे? प्लान तो था!
मैंने देखा कि बाथरूम के दरवाजे के पास दो दिन छोटे छोटे कॉकरोच हैं। मैंने चुपचाप उन्हें उठाया और चुपचाप अंशु की पीठ पर छोड़ दिया। जैसे ही वो रेंगते हुए अंशु की छाती पर पहुँचे, अंशु ज़ोर से चिल्लाने लगी, बस मैं दौड़ता हुए पहुँचा और पीछे से अंशु के दोनों स्तनों को दबोच लिया इससे पहले वो कुछ समझती की मैंने दोनों चुटकियों में उसके निप्पलों को पकड़ा और ज़ोर ज़ोर से मसलने लगा।
मेरा लिंग उसके फुले हुए नितम्बो की दरार में रगड़ रहा था।
आह उम्म हाए...मा...उफ्फ... अंशु की आह निकल गयी...छोड़ो मुझे प्लीज।
अंशु..मैंने दोनों को कस के मसल दिया।
हां, वो तो दिख रहा है। चलो जाओ बैठो जा कर।
मैं वापस पलटा और फिर झूठमूठ चिल्लाया...अरे अंशु, तुम्हारी कमर पर बड़ा कॉकरोच है।
अंशु चिल्लायी... जल्दी भगाओ उसे!!!
बस..मैंने तुरंत अंशु का लोअर नीचे खींच दिया, अंशू के सुडौल नितंब और मांसल जाँघे निवृत्त हो गयी। वो कुछ समझ पाती, की मैंने उसके बाएं चूतड़ पर कस के एक थप्पड़ मारा।
आह...अंशु दर्द से चिंहुक गयी।
मैंने उसके दायें चूतड़ पर फिर एक कस के थप्पड़ मारा और नितंबो को सहलाने लगा।
उम्म ह्म्म्म उम्म मम ...अंशु की मादक सीत्कार निकल गयी। वो बोली भाग गया न।
हांहां, मैं उसके लाल हो गए नितंबो को खूब दबा कर सहला रहा था।
ठीक है, बस करो, कह कर अंशु ने अपना लोअर ऊपर कर लिया...
थैंक यू। अंशु मुस्काई।
ये तो मेरा फ़र्ज़ है। अरे एक मिनट।
क्या हुआ??
ज़रा अपने दोनों हाथ ऊपर करो!!
क्यूँ?वो स्लीवलेस टीशर्ट पहने थी, तो उसे संकोच हुआ।
जल्दी करो, प्लीज अंशु।
अंशु ने हाथ ऊपर किये तो मैंने बारी बारी से उसके दोनों बगलों में अपनी सांस की गरम भाप डाली।
अंशु ने जल्दी से अपनी बाहें नीचे की और मुझे गुस्से से देखा और अपने नीचे के होंठ को चबाती हुई बोली...जाओ बेड पर बैठो।
क्या हुआ अंशु? मैंने मुस्कुराते पूछा।
कुछ नहीं...जाओ...काम करने दो।
क्या सोचकर तुमने मुझे टच किया। मैंने परमिशन दी तुम्हें। तुमनें तो सीधे मेरा लोअर ही नीचे कर दिया।
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