हल्का सा लगड़ाते हुए, मैं अंदर की तरफ बढ़ चला। चारो तरफ अंधेरा था जो बिजली चमकने पर नीली रोशनी से चमक जाता था। बारिश और तेज हो गयी थी।
भाई... कोई है ...भाई... मैंने अपने चचेरे भाई को आवाज़ लगाई पर कोई जवाब नही आया।
तभी बहुत तेज़ बिजली कड़की... लगता था जैसे कहीं पास हक बिजली गिरी है।
बगल वाले कमरे से किसी औरत के चीखने की आवाज़ आयी, मैं कमरे में दाखिल हुआ, कौन है क्या हुआ??
अचानक बिजली कड़कने के नीले प्रकाश में मुझे दिखा की कोई गौरवर्णीय स्त्री अपने शरीर पर कपड़े लपेट रही थी,,फिर अंधेरा हक गया।
जेठ जी, बस एक मिनट... मेरे छोटे भाई की पत्नी चंद्रप्रभा उर्फ चंदा का घबराया हुआ स्वर गूंजा।
क्या हुआ...चंदा? मैंने अंधेरे में देखते हुए पूछा।
बस जेठ जी...एक मिनट।
मैं कुछ समझ पाता कि फिर एक बार आसमान को फाड़ देने वाली डरावनी आवाज़ के साथ कही पास ही बिजली गिरी, पूरा कमरा नीली रोशनी से नहा गया।
एक घबराई आवाज़ के साथ वो दौड़ती हुई आयी और मेरे बदन से चिपक गयी। अंधेरा फिर हो गया था।
मैंने महसूस किया कि चंद्रप्रभा पूरी नग्न थी। उसके बड़े बड़े उरोज मेरे सीने में धसे थे। मैंने उसकी गुंदाज़ कमर पर हाथ रख कर पूछा...डरो मत...सब ठीक है।
बिजली फिर कड़की... चंदा और कस के चिपक गयी।
मेरा लिंग अकड़ने लगा, जो ठीक उसकी नंगी योनि के सामने था, बस उसकी योनि और मेरे लिंग के बीच मेरी पैंट का कपड़ा था।
चंदा का गोरा चिकना औऱ गदराया बदन बहुत मुलायम था। उसकी योनि के आस पास काफी गरम लग रहा था।
बिजली फिर कड़की...मैंने अपनी दोनों हथेली अपनी बहु चंदा के बड़े नितंबो पर रख दी। और सहलाते हुए बोला...डरो मत मैं हु न।
sunset over buildings