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Hindi Sex Story बीस साल बाद

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Oct 16, 2021
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20 साल पहले एक बरसात की रात चंदा और सुमित के संबंध बने। फिर वक़्त के बहाब में चंदा की शादी सुमित के चचेरे भाई से हो जाती है। पर आज 20 साल बाद फिर चंदा की ज़िंदगी में सुमित अचानक सामने आकर खड़ा हो जाता है वो भी फिर एक बरसात की रात। अब कैसे करेंगे दोनों एक दूसरे का सामना।

 
साल 2021 की जुलाई के महीना था। आज किसी काम से दूसरे शहर से लौटते वक्त हाईवे पर से ही तेज बारिश शुरू हो गयी। मैं मोटरसायकिल से था, कहीं कोई रुकने की जगह नही थी, मैं पूरी तरह भीग गया। किसी तरह मैं गाड़ी चला रहा था। अचानक मेरी बाइक फिसल गई, मुझे थोड़ी घुटने में चोट आई। मेरे छोटे चचेरे भाई का घर अब यह से दूर नही था, बारिश बहुज तेज़ हो रही थी। मैं अपने चचेरे भाई के घर जाने के लिए एक गली में मुड़ गया। पूरी गली में पानी भरा था। शाम भी घिर आयी थी, 6 बज रहे थे, पर अंधेरा हो गया था। मेरे घुटने में तेज दर्द हो रहा था। मैं किसी तरह अपने चचेरे भाई के घर पहुँचा, पूरी कॉलोनी अंधेरे में डूबी हुई थी । शायद बहुत टाइम से लाइट नही आ रही होगी, मैंने अनुमान लगाया। मैंने कॉल बेल न बजाकर सीधे मेन गेट खोला। बारिश के शोर में कुछ नही सुनाई पड़ रहा था। घर में अंधेरा पसरा था, पीछे एक बैडरूम से मोबाइल की रोशनी आ रही थी।

थोड़ा लगड़ाते हुए, मैं अंदर की तरफ बढ़ चला। चारो तरफ अंधेरा था जो बिजली चमकने पर नीली रोशनी से चमक जाता था। बारिश और तेज हो गयी थी।

भाई... कोई है ...भाई... मैंने अपने चचेरे भाई को आवाज़ लगाई पर कोई जवाब नही आया।

तभी बहुत तेज़ बिजली कड़की... लगता था जैसे कहीं पास ही बिजली गिरी है। बगल वाले कमरे से किसी औरत के चीखने की आवाज़ आयी, मैं कमरे में दाखिल हुआ, कौन है क्या हुआ??

अचानक बिजली कड़कने के नीले प्रकाश में मुझे दिखा की कोई गौरवर्णीय स्त्री अपने शरीर पर कपड़े लपेट रही थी,,फिर अंधेरा हो गया।

जेठ जी, बस एक मिनट... मेरे छोटे भाई की पत्नी चंद्रप्रभा उर्फ चंदा का घबराया हुआ स्वर गूंजा।

क्या हुआ...चंदा? मैंने अंधेरे में देखते हुए पूछा।

बस दद्दा (बड़े भाई)...एक मिनट।

मैं कुछ समझ पाता कि फिर एक बार आसमान को फाड़ देने वाली डरावनी आवाज़ के साथ कही पास ही बिजली गिरी, पूरा कमरा नीली रोशनी से नहा गया। एक घबराई आवाज़ के साथ वो दौड़ती हुई आयी और मेरे बदन से लिपट गयी। अंधेरा फिर हो गया था।

37 साल की परिपक्व, दो बच्चों की माँ, 12 साल से विवाहिता, रिश्ते में मेरी भाभो मुझसे ऐसे लिपट गयी थी, जैसे कोई नव प्रेमी युगल एकांत में लिपट कर प्रेम करते हों। चंद्रप्रभा के उन्नत वक्षःस्थल, पेट पर पड़ते वलय, उभरा हुआ पेड़ू, वृहत पुष्ट नितम्भ, मांसल बाहें मुझे उस अंधकार में उसके यौवन के सारे माप बता रहे थे।

हम दोनों की सांसें फूलने लगी। दिल तेज़ी से शोर करने लगे। तभी लाइट आ गयी। चंदा तेज़ी से पीछे हटी और दौड़ कर दूसरे कमरे में चली गयी। मैं कुछ देर वैसे ही खड़ा रहा फिर एक सोफे पर बैठ गया।

20 साल पहले की बात है, तब चंदा लगभग 17 साल की नवयुवती थी। लखनऊ शहर में हमारे चाचा जी का बड़ा मकान था। जहां चंदा का परिवार किरायेदार के तौर पर रहता था। 2 भाइयों में बीच के नंबर पर थी चंदा। मैं दूसरे शहर में रहता था। इंटरमीडिएट की परीक्षा हो चुकी थी इसीलिए मैं चाचा जी के यहाँ छुट्टियां बिताने आया था। मेरी चचेरी बहन अंशु जो लगभग 16 साल की थी, चंदा की अच्छी दोस्त थी।

चंदा का परिवार घर के पिछले हिस्से में रहता था। घर के दोनों हिस्सों के बीच एक जालीदार गेट था, जो अक्सर बंद रहता था। जब चंदा अंशु के साथ खेलने आती तो गेट खोल देती। चंदा बहुत सुंदर थी, मेरी उम्र 18 साल थी, इस उम्र में विपरीत लिंग के प्रति तीव्र आकर्षण होता ही है। चंदा भी मुझे देख कर मुस्कुरा देती थी। पर मैं कुछ कहने से डरता था।

धीरे धीरे छुट्टियां खत्म हो रही थी। जुलाई के महीने आ गया था। एक दिन शाम के समय मेरी चाची के मायके से फ़ोन आ गया, कि वहां चाची की माता जी बहुत बीमार हैं। चाची अपने बच्चो को लेकर चली गयी। मैं घर में अकेला रह गया। क्योंकि शाम को चाचा जी ऑफिस से आते तो कोई होना चाहिए घर पर। क्योंकि चाची अचानक चली गयी थी। चाचा कोई 8 बजे तक आते थे। क्योंकि आफिस दूसरे शहर में था। शाम ढलते ही ज़ोरदार बारिश शुरू हो गयी। अभी आसमान में कुछ उजाला था। मैं बाथरूम जाने के लिए घर के पिछले वाले हिस्से की तरफ जा रहा था, जहां जाली वाला गेट था। मैंने देखा चंदा घर के आंगन में बारिश में भीग रही थी और गोल गोल घूम रही थी। सफेद रंग के सलवार कुर्ती में गौरवर्णीय चंदा का रूप और खिल रहा था। हल्के हल्के अंधेरे में उसके चेहरे पर चांदनी चमक रही थी। अचानक मुझे देखकर वो बोली आओ सुमित, मज़ा आएगा।

मैं गेट खोलकर चंदा के पास गया, ऊपर लोहे के जाल से आती बारिश की मोटी ठंडी बूंदे मुझे भिगोने लगी। अंधेरा हर पल गहरा रहा था।

मैं चंदा के रूप यौवन को निहार रहा था, उसकी सफेद झीनी कुर्ती उसके तन पर चिपक गयी थी, जिससे उसके गौरवर्णीय अंग झलक रहे थे। हल्के यौवनावस्था के उभार, पतली कमर। वो षोडशी पतली दुबली नवयुवती, यौवन के दहलीज़ पर पहला कदम रखी थी। वो खुशी से झूम रही थी।

अचानक आसमान से कहीं जोर से बिजली गिरने की आवाज़ हुई, लगा मानो आसमान ही फट गया। चंदा जोर से चीखते हुए मुझसे लिपट गयी।

17 साल की चंदा और 18 साल का मैं। इस उम्र में हम दोंनो के तन में ज्वार भाटा सा उठ गया। चंदा सर उठाकर मेरी आँखों में देखने लगी, जैसे कुछ पूछ रही हो। उसके पतले गुलाबी होंठो से पानी की बूंदें रह रह कर गिर रही थी। एक ठंडी हवा का तेज झोंखा जिसके कारण पानी की बूंदे ज़ोर से हमारे तन पर पड़ी। चंदा ने आंखे बंद कर ली, मैंने अपने होंठ उसके भीगें होंठो पर रख दिये।

 
भाग 2: नारी का अनावृत सौंदर्य
चंदा दूसरे कमरे में शायद अपने कपड़े बदल रही थी। मैं सोचने लगा कि कमसिन सी चंदा 20 साल बाद आज एक परिपक्व महिला बन चुकी है। उसके योवन की माप मेरे मन पर अंकित हो गयी थी। उसके सुडौल अंगों का स्पर्श मुझे अभी तक आनंदित कर रहा था। पर वो अब मेरे छोटे भाई की विवाहिता थी। पर पुरूष का मन तो नारी के यौवन पर आकर्षित होता ही है। इससे अच्छा तो यह होगा कि मैं यहाँ से चल जाऊं। पर पहले चंदा को बता दूँ।

तभी अचानक लाइट फिर चली गयी।

चंदा मैं जा रहा हूं। मैंने आवाज़ लगाई।
अभी हल्की बारिश हो रही थी। पर साथ ही ठंडी हवा भी चलने लगी थी। जिसके कारण मौसम ठंडा हो गया था। और मेरे शरीर के रोम खड़े हो गए थे।

उधर अचानक अंधेरा हो जाने से चंदा जिसने आधे अधूरे कपड़े पहने थे। और उसके पूरे बदन पर पानी की बूंदे थीं।

मैंने मन में सोचा कि चंदा बहुत शर्म के कारण जवाब नही दे रही होगी, तो चलो मैं यहां से चला जाता हूं। यह सोचकर मैं बाहर मुख्य द्वार पर आ गया और अपनी बाइक देखने लगा।

उधर चंद्रप्रभा ने थोड़ा सा दरवाज़ा खोल कर बाहर झांका- दादा, दादा... … जेठ जी … कहाँ हैं आप?
बाहर कोई नहीं दिख रहा था।

चंदा को अब कुछ डर सा लगने लगा … पता नहीं क्या हुआ … जेठ जी कहाँ चले गए।

एक तो युवा महिला … वो भी लगभग निवस्त्र, ऊपर से भीगी हुई, घर में अकेली … क्या करे?

चंदा ने थोड़ा सा दरवाज़ा और खोलकर पूरा चेहरा बाहर निकाल कर चारों तरफ देखा … कोई नहीं है … बिल्कुल सन्नाटा! ऊपर लोहे का बड़ा सा जाल था, जिससे पानी की फुहारें चंदा के गौरवर्णीय चेहरे पर पड़ने लगी। चंदा के गुलाबी अधर जो थोड़ा सूज कर मोटे लगने लगे थे, अब ठंड से कांप रहे थे।

हिम्मत जुटा कर उसने पूरा दरवाज़ा खोला और धीरे से सहमी हुई बाहर आई. साथ ही अपनी दोनों हथेलियों से अपने स्तनों को छुपाने की लगातार कोशिश भी कर रही थी वो!

अपने यौवन के शिखर पर खड़ी नारी की नग्न देह बहुत सुंदर प्रतीत होती है।

5 फुट 4 इंच का थोड़ा भारी शरीर, गोरा रंग, कमर तक लंबे बाल, काली आँखें, थोड़े मोटे होंठ, भरे हुए गाल चंदा के यौवन को बढ़ा रहे थे।

“दादा? आप कहाँ हैं? प्लीज़ जल्दी आइये … हमें बड़ा डर लग रहा है।” चंदा काँपती आवाज़ में बोली।

कोई नहीं है. बस सन्नाटा!

चंदा ने चारों तरफ घूम कर जेठ जी को देखा. अंधेरे में एक डाइनिंग टेबल है उसके सामने किचन … किचन के बगल में एक कमरा, उसके बगल में ड्राइंग रूम।

चंदा धीरे से ड्राइंग रूम की तरफ जाने लगी.

चौड़े मांसल कंधे, फूले हुए बड़े स्तन जिन्हें चंद्रप्रभा ने अपनी हथेलियों से अभी भी छुपा रखा था. थोड़ा बाहर निकला पेड़ू, और गहरी, बड़ी और बिल्कुल गोल नाभि, जिसकी गहराई 1 इंच होगी और गोलाई 2 इंच! उसके चारों तरफ पानी की छोटी छोटी बूंदें चमक रही थी, कटिप्रदेश से नीचे एक सलवार कसी हुई थी, जो भीग कर बिल्कुल चिपक गयी थी.

ड्राइंग रूम में अँधेरा था, अंदर जाने से पहले चंदा ने थोड़ा जोर से आवाज़ लगायी- दादा … क्या आप अंदर हैं?
कोई जवाब नहीं! चंदा हिम्मत करके अंदर गयी. वो टटोल कर बिजली का बोर्ड ढूँढने लगी.

पर शायद उसकी उंगली बिजली के सॉकेट में चली गयी … और एक चीख के साथ चंदा फर्श पर गिर कर बेहोश हो गयी.

मैं सड़क पर गाड़ी स्टार्ट करने की कोशिश कर रहा था, जो स्टार्ट नही हो रही थी। चंद्रप्रभा की चीख सुनकर मैं तेज़ी से अंदर भागा। क्या हुआ चंदा को? आज का दिन क्या क्या दिखायेगा?

कुछ देर बाद ड्राइंग रूम में मैंने एक मोमबत्ती जलाई. चंदा पेट के बल फर्श पर पड़ी थी. क्या रसभरे सुंदर नितम्भ थे चंद्रप्रभा के!
बड़े बड़े फूले हुए कमल के फूल की तरह कोमल, थोड़ा बाहर की तरफ उठे हुए।

औरत के गोरे और गदराए, अनावृत नितम्ब, नीचे चिकनी मोटी जाँघें केले के पेड़ के तने जैसी, सलवार दोनों नितंबों की दरार में खो गयी थी.
अब वो थी पूर्ण निःवस्त्र युवती!

मेरे दो मजबूत हाथों ने चंदा को उठाया. चंदा उसकी बांहों में झूल गयी. दोनों हाथ नीचे झूल रहे थे और बड़े बड़े स्तन इधर उधर ढलक गए थे. चंदा के कुच काफी बड़े थे और फूले हुए, भूरे वर्ण के कुच वक्ष-सौंदर्य को बढ़ा रहे थे।

मैं चंद्रप्रभा को उसके बैडरूम ले आया। मैंने उसे बेड पर लिटा दिया। वो निढाल सी पड़ी थी। मुझे बड़ी चिंता हो रही थी कि पता नही चंदा को क्या हुआ है। मोमबत्ती की रोशनी में उसका गोरा बदन दमक रहा था। मैंने अपने मोबाइल से एक डॉक्टर दोस्त को कॉल करके सब बताया।

उसके बताये हुए अनुसार मैं एक सूखे तोलिये से चन्दा के बदन को सुखाने लगा। अचानक बारिश तेज़ हो गई, मैंने जल्दी से बेडरूम की खिड़की दरवाज़े को बंद कर के सिटकनी लगा दी।

अब रह रह कर बिजली चमकने लगी थी। बिजली की चमक से रोशनदान और खिड़की के कांच से आती नीली रोशनी से चंदा का पूरा तन जगमगा उठता।

मैं इस वक़्त सिर्फ एक अंडरवियर में था, क्योंकि मेरे सारे कपड़े भीग चुके थे। पर मेरा पूरा ध्यान चंदा की देखरेख में था। कुछ देर बाद चंदा के शरीर में कुछ हलचल हुई। मैंने देखा वो ठंड से कांप रही थी। मैंने उसके तन से सारे वस्त्र उतार दिए। और उसके तलवो को अपनी हथेलियों से रगड़ने लगा। कुछ देर बाद चंदा होश में आने लगी।

खुद को बिस्तर पर निवस्त्र और मुझे उसके बदन को रगड़ते देखकर वो चिहुँक कर बेड से कूद कर खड़ी हो गई। मैंने कहा मैं सब समझाता हूं चंदा। वो मुझे गुस्से से देख रही थी।

तभी एक जोरदार बिजली की गर्जना हुई। वो दौड़ कर मेरे सीने से लिपट गयी। ठंडा मौसम, निवस्त्र परिपक्व औरत मेरे नग्न शरीर से लिपट कर खड़ी थी। मेरे शरीर मे खून तेज़ी से दौड़ने लगा। आसमान में बिजली कड़कती जा रही थी। चंदा के स्तन मेरे सीने में पेवस्त थे। मैंने उसके दोनों नितंबो को दबोच कर उसे अपने करीब किया। वो समर्पण का भाव लिए चुपचाप मुझे देखने लगी।

एक जोरदार बिजली कड़की उसकी नीली रोशनी में मुख्य द्वार के पास लगी नेमप्लेट पर लिखा नाम "श्रीमती चंद्रप्रभा सिंह" चमक उठा।

उसी पल मैंने अपने गरम होंठ चंदा के गुलाबी मोटे होंठो पर रख दिये।
आज बीस साल बाद हम दोनों की जुबाने आपस में कुछ बातें कर रही थी जिसे सुनना मुश्किल था।

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बारिश जोरों पर हो रही थी। साथ ही तेज़ हवा के झोंके मौसम को ठंडा करते जा रहे थे। चंदा की जीभ को मैं अपने होंठो से चूस रहा था। मेरा एक हाथ उस उस स्त्री के विशाल स्तन पर पहुच गया। पहाड़ों के ऊपर जमी बर्फ अब पिगलने लगी थी। मैंने चंदा को अपनी बाहों में उठा लिया। और बेड रूम में ले गया। बिजली चमकने से कमरे में नीली रोशनी आ रही थी। मैंने चंदा के सलवार का नज़ीरबन्द खोल दिया। वो पूरी निवस्त्र हो गयी। और शर्मा कर पलट कर खड़ी हो गयी। बिजली फिर चमकी, उसके पुष्ट चौड़े नितम्भ देखकर मैंने उसके पीछे से आलिंगन कर लिया, मेरा उतेजित यौन अंग उसके दोनों विशाल नितंबों की दरार में रगड़ रहा था। चन्दा की अंग से रिसाव होने लगा था।

मैंने पीछे से अपने दोनों हाथ आगे लेजाकर उसके कूचों का भरपूर मर्दन करना शुरू कर दिया। अब चंदा की पलकें भारी होने लगी थी।
वो मादक सीत्कारें भर रही थी। बारिश जोरों से हो रही थी।

चंदा थोड़ा आगे बढ़ी और फिर बेड पर लेट गयी। और पलट कर मेरी तरफ बाहें फैला कर देखने लगी। नग्न स्त्री का ये मौन आमंत्रण मुझे स्वीकार था।

मैं बिल्कुल निवस्त्र था, मैं चंदा के ऊपर लेट गया। उसके गरम स्तन मेरे सीने में धस गए, मेरे हाथ उसके बड़े बड़े नितंबो को दबा रहे थे। मेरा अंग चंदा के अंग के मुहाने पर टिका हुआ था। चंदा चुम्बनों की बौछार किये जा रही थी। अचानक कसकर बिजली कड़की। चंदा ने डर कर चीख मारी, उसकी दोनों जांघो के बीच कुछ दूरी हो गयी, योनि के ओंठ खुल गए, उसी वक़्त मेरा उतेजित लिंग झटके से उसकी चिकनी गहराई में उतरता चला गया।

ओह दद्दा....चंदा ने आनंद से मिले हुए मादक स्वर में बोला।

हम दोनों ने अपने वैवाहिक अनुभव का लाभ उठाते हुए लगभग पूरी रात न जाने कितनी बार संभोग किया। चंदा और मुझे कई बार चरम सुख प्राप्त हुआ। हमने हर तरीके से, हर मुद्रा में सहवास सुख प्राप्त किया।

चंदा ने मुझे यह रहस्य भी बता दीया की वो मुखमैथुन करने में विशेषज्ञ है। मेरे न स्वीकार करने पर उसके आधा घंटे तक मेरे अंग से मुख मैथुन किया। और वीर्य पान भी कर लिया।

अब मैं भी उसका योवन रस पीना चाहता था तो मैंने उसे कन्धों से पकड़ कर उठाया और बिस्तर पर गिरा लिया.

मैंने अब एक खास अवस्था में होकर उसके मुँह में अपना लिंग घुसा दिया और खुद उसकी योनि पर अपना चेहरा झुका दिया. एक कामोद्दीपक सुगन्ध मेरे नाक में भर गयी और मेरा लंड मेरे छोटे भी की बीवी के मुख में झटके मारने लगा.

मैं चंद्रप्रभा के मुख में अपना लंड पेलने लगा और 4-5 मिनट में ही उसके मुख में झड़ गया. वो भी मेरे वीर्य को चटनी की तरह चाट गयी. मैंने उसकी चूत को कुछ देर चाटा और फिर मैं उसके नंगे जिस्म पर सीधा होकर लेट गया. मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये और चूसने लगा.

मेरे मुख में मेरे वीर्य के अंश आ रहे थे और चंद्रप्रभा भी अपनी चूत के रस को मेरे होंठों पर से चूस रही थी.

चंद्रप्रभा के चेहरे पर मुझे कहीं भी किसी प्रकार की ग्लानि या शर्म नहीं दिख रही थी. वो मेरे साथ सेक्स का पूरा मजा ले रही थी. वो अपनी जीभ मेरे मुख में घुसा रही थी और मेरी जीभ को चूस भी रही थी.

चंद्रप्रभा के साथ चूमा चाटी करते करते ही मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा. उसे भी मेरे लंड के खड़े होने का आभास हुआ तो उसने अपना हाथ नीचे करके मेरा लंड पकड़ लिया और उसे अपनी चूत की दरार में रगड़ने लगी.
उसके मुख से अब सिसकारियाँ निकल रही थी.

2-3 मिनट में ही मेरा लंड अपने भाई की बीवी की चूत में घुसने के लिए तैयार हो गया था. मैंने चंद्रप्रभा को कहा कि लंड को अपनी चूत के छेद पर लगाए.

उसके मेरे लंड का सुपारा अपने छेद में रखा और खुद ही अपने चूतड़ उछाल कर मेरे लंड को अपनी चूत में घुसा लेने का प्रयास किया.
ऊपर से मैंने भी अपने चूतड़ों को झटका दिया तो मेरा लंड उसकी चूत में पूरा एक बार में ही घुस गया.

उसके मुख से आनन्द भरी आह निकली और उसके आनन्द से लिप्त चेहरे को देख मेरे अंदर और जोश भर गया, मैंने उसे जोर जोर से चोदना शुरू किया. वो भी नीचे से अपने कूल्हे उछाल कर चुदाई में साथ दे रही थी और पूरा मजा ले रही थी.

थोड़ी देर बाद उसने अपनी ऐड़ियाँ मेरे कूल्हों पर रख ली, अपने हाथ मेरी पीठ पर रख कर अपने नाखून मेरी पीठ में गड़ाने लगी.

कामवासना से वो पागल हुई जा रही थी. उसके मुख से सिसकारियाँ निकल रही थी. उसे ज़रा भी शर्म नहीं थी कि वो अपने जेठ से चुद रही है.

कुछ मिनट बाद उसने अपनी जांघें ऊपर उठानी शुरू कर दी. मैं समझ गया कि अब चंदा अपने चरमोत्कर्ष के करीब है. मैंने भी अपना पूरा जोर लगा कर उसे चोदना शुरू कर दिया.

और कुछ पल में वो गर्जन करती हुई झड़ने लगी. उसके गले से लम्बी लम्बी हांह … जैसी आवाजें निकल रही थी. मैंने अपना लंड उसकी चूत में पूरे जोर से गाड़ दिया.

वो थोड़ी निढाल हो गयी. उसकी आँखें बंद हो गयी, उसके चेहरे पर कामसंतुष्टि का आनन्द झलक रहा था.

लेकिन मेरा काम अभी अधूरा था. मुझे पता था कि अब मैं रीना की चुदाई करूंगा तो इसे तकलीफ होगी. लेकिन फिर भी मुझे भी तो परमानन्द प्राप्त करना था. मैंने 2-3 मिनट चंद्रप्रभा की चूत में झटके मारे और मैं भी अब अपने भाई की बीवी की चूत में बह गया.

मैं उसके नंगे बदन पर गिर गया और उसके होंठों पर होंठ रख कर चूसने लगा.

सम्भोग में जब नर और मादा दोनों बराबर सहयोग करें तो जो आनन्द दोनों को मिलता है, उसका कोई सानी नहीं.
हम दोनों को भी ऐसा ही आनन्द मिला था.


मैंने अपने प्रिय संभोग मुद्रा में चंदा को घोड़ी बनाकर मैथुन किया। उसके नितंबो से उठती मादक आवाज़ों से पूरा कमरा गूंज उठा था।

पूरी रात बारिश होती रही और मैं और चंद्रप्रभा रात भर एक दूसरे के तन से अपनी हवस मिटाते रहे।

सुबह का उजाला हर ओर फैल चुका था। चंदा अब भी नग्नावस्था में बिस्तर पर पड़ी थी। उसे ये याद नहीं था कि रात भर जिस पुरुष की बाहों में उसकी नस नस टूट रही थी, वो उसके जेठजी और वो उनकी भाभो है।

मैंने चंदा के माथे पर एक चुम्बन लिया, और कहा...गुड मॉर्निंग चाँद।।

चंदा की आंख जैसे ही खुली वो उछल कर बेड से उतरी और अपने बड़े स्तनों को अपनी हथेलियों से छुपाते हुए बाथरूम की और भागी।

कुछ देर बाद चंद्रप्रभा बाथरूम से एक नाईट गाउन पहने निकली। और डरते हुए बोली...दद्दा रात को मुझसे बहुत गलती हो गयी।

कोई बात नहीं चंदा, गलती दोनों की है, पर देखा तो किसी ने नहीं तो समझ लो कुछ हुआ ही नहीं... मैंने समझाया।

पर दद्दा, अंशु को पता चल ही जायेगा, अब क्या होगा।

अंशु उम्र 39 साल, लंबा कद, गोरा रंग, काले बाल, पतली कमर, सामान्य से कुछ बढ़े हुए स्तन, और थोड़ा सा ऊपर उठे हुए गुंदाज़ नितम्भ। अंशु विधवा है, और एक प्राइवेट स्कूल में इंग्लिश टीचर है। जो हमारे शहर से 50 किलोमीटर दूर हाइवे के किनारे स्थित है। वही अंशु स्कूल के फ्लैट में रहती है। रिश्ते में वो मेरी चचेरी बहन है, और उसकी माँ का घर मेरे घर के पास ही है।

अंशु को....मैं चौंक गया...पर कैसे??

अरे दद्दा, वो विधवा तंत्र मंत्र करती है, सब जान लेती है, आज कल यह आ रही है। अब क्या होगा, आप उससे मिल लो...देखो उसे कोई शक है क्या।

ओके...अब मैं चिंतित था

चंदा दौड़ कर मेरे सीने से लग गयी..आय लव यू दादा।

मैंने चंदा के दाएं नितम्भ पर चपत लगाई...पगली दद्दा मत बोलो अब तो।

दोनों मुस्कुराये और चुम्बन की बौछारें शुरू हो गईं।

तीन दिन बाद जैसे ही मुझे पता चला कि अंशू अपनी माँ के घर आई है, मैं उसके घर पहुच गया, मैंने गेट पर से आवाज़ दी, अंशु कमरे से निकली, गेट खोला मुझे देख कर मुस्कुराई और बेपरवाही से मटकती हुई वापस कमरे की तरफ बढ़ चली, तभी मेरी नज़र उसके नितंबों पर पड़ गयी। उसके जवान चूतड़ काफी बड़े और बाहर निकले हुए थे, और पतली कमर के दुगने चौड़े फैले भी थे। उसके चलने से उसके बड़े और गोल चूतड़ ऊपर नीचे हो रहे थे, और इतने कसे थे कि आपस मे रगड़ रहे थे। उसकी कुर्ती उसके बड़े नितंबो के ऊपर टंगी लग रही थी। मेरा लिंग तुरंत तन गया।

अंदर आ जाओ भाई... अंशु बोली...
मम्मी, मौसी के घर गयी हैं, मैं अकेली हूं घर पे। नहाने जा रही हूं, तुम बैठो, टीवी देखो...एक सांस में बोल गयी वो।

नहीं तुम आराम से नहाओ, मैं बाद में आया हूं... मैं धीमे से मुस्कुरा कर बोला।

ओके, कॉल कर देना...अंशु अपने भारी नितम्भ हिलाती हुई अंदर चली गयी।

मैंने अंदाज़ा लगाया कि आज छुट्टी है, पूरे हफ्ते बिजी रहने के बाद आज इस गदराई औरत को अपने जिस्म का खयाल रखने का टाइम मिला होगा। क्योंकि अंशु काफी फैशनबल और घमंडी औरत है, तो आज तो वो मौका नही छोड़ेगी।

12 बज रहे थे, काफी तेज धूप थी, हर तरफ सन्नाटा था,
मैंने इधर उधर देखा, कोई नही था, थोड़ा आगे बढ़कर उसके रूम की विंडो जो बाहर की तरफ खुलती थी, खुली हुई थी विंडो के बाहर पतली से गैलरी थी, जहां एक क्लॉथ स्टैंड रखा था, जो शायद अंशु का था, उस पर 2 पैंटी, 3 ब्रा जो सूख चुकी थी लटकी थी। मैंने खिड़की से अंदर झाँक कर देखा, कमरा खाली था, सामने किचन भी खाली था। खिड़कियों के बगल में ऊपर की तरफ एक रोशनदान था, जो बाथरूम का था। ध्यान से सुनने पर उसमे शावर की आवाज़ आ रही थी। मैंने इधर उधर देखा कोई नही था, गैलरी के सामने एक नीम का बड़ा पेड़ था, तो काफी आड़ थी, मैंने एक पैर गैलेरी की रेलिंग पर रखा, एक हाथ से खिड़की की रॉड को कस के पकड़ा, और रोशनदान तक पहुच गया, बहुत सावधानी से अंदर झांका, अंशु का सर दिखा जिस पर शावर से पानी गिर रहा था। और वो बालों पर शैम्पू लगा रही थी। मेरा दिल जोर जोर धड़कने लगा। मैंने दोनों पैर खिड़की के ऊपर रॉड पर रखे और रोशनदान की एक सरिया को कस के पकड़ा अब मेरा सर बिल्कुल रोशनदान पर था, इसमे एक एग्जॉस्ट फैन लगा था जो बन्द था। अब मैंने अंदर देखा, मेरा दिमाग भक्क से उड़ गया।

अंशु बिल्कुल नंगी नहा रही थी। 5 फ़ीट 5 इंच का इखेहरा मगर गदराया बदन, गोरा रंग, पूरे बदन पर एक भी बाल नहीं, बिल्कुल चिकनी चमकती गोरी गुलाबी जवानी, लंबे काले बाल, गुलाबी होंठ, बड़ी बड़ी चुचियाँ, हल्के भूरे रंग के बड़े निप्पल, जो बिल्कुल तने हुए थे। पतली सुडौल कमर, गोल नाभि, बिल्कुल चिकना गोरा कटी प्रदेश, चौड़ी कमर, फूली गोरी योनि, जिसके बीच मे थोड़ा सा खुले हुए योनि के होंठ। विशाल, चर्बी चढ़े गोरे चूतड़। जो काफी बाहर निकले थे। मोटी जांघे, पर सुडौल पिंडलियां।

मेरा लिंग अकड़ने लगा, मेरा दिमाग जम गया, इतनी सुंदर, सुगठित, सुडौल जवान औरत की नग्न अवस्था। पूरे बदन पर एक भी धागा नही, बिल्कुल नेचुरल। कुछ पल अपनी चचेरी बहन को बिल्कुल नंगा देखकर ख़ुद को संभाला, और पूरे बाथरूम का मुआयना किया, हेयर रिमूविंग क्रीम, मसाज क्रीम, स्क्रब, कोलन वाटर आदि रखे थे।
एक बड़ा सा टॉवल गाउन भी था, पर कोई इनरवेर नही थे, मैं समझ गया कि पैंटी और ब्रा तो बाहर पड़े हैं, एक प्लान बनाया मैंने, चुपचाप नीचे उतर कर पैंटी और ब्रा को लेजाकर अपनी गाड़ी में छुपा दिया। फिर वापस आकर उसी तरह रोशनदान से झाँकजर अंशु को कॉल किया, अंशु नहा चुकी थी, और एक टॉवल कमर में लपेट रही थी, उसके स्तन बिल्कुल नग्न थे। उसका फ़ोन बजा, वो बाथरूम से बाहर निकली, और फ़ोन उठाया, दरवाज़ा खुला रहने के कारण मुझे वो दिख रही थी, सिर्फ टॉवल लपेटे थी, और एक शीशे के आगे खड़ी होकर कॉल उठा कर बोली। शीशे में वो अपनी एक बाँह ऊपर करके अपनी बगल को देखती हुई बोली: हेलो...

हेलो, अंशु, नहा चुकी, मैं बाहर खड़ा हूँ, डोर पर, खोलो आकर।

अंशु कस के चौंकी: हांहां, आ रही हूं 2 मिनट रुको प्लीज। वो तेज़ी से बाथरूम में आई, उसकी चुचियाँ ज़ोर ज़ोर से उछल रही थी, उसने तुरंत टॉवल गाउन पहनी और उसकी बेल्ट कस के बांध ली, तब तक मैं दरवाजे पर पहुच गया।

उसने दरवाज़ा खोला, एक फ्रेश खुशबू का अहसास किया मैंने।

आओ अंदर आओ। अंशु बोली और साइड में हट गई!

अभी तो गए थे, इतनी जल्दी आ गए। अंशु ने पूछा।

हां, मैंने सोचा, यही वेट करूँ... मैंने जवाब दिया।

अंशु ने बाहर जाकर अपनी पैंटी-ब्रा को देखा, पर वहाँ नही मिली।

क्या हुआ अंशु?क्या ढूढं रही हो।

कुछ नहीं! कह कर अंशु अंदर आ गयी और दरवाज़ा बन्द किया और बोली, बैठो, खड़े क्यों हो।

अंशु ने अलमारी से एक लोअर और टीशर्ट निकली और बाथरूम में जाकर पहन ली, वो वापस आयी तो कुछ संकोच में थी, क्योंकि उसने ब्रा और पैंटी नही पहनी थी।

अंशु की चुचियाँ कुछ लटकी हुई थी, पर चूतड़ लोअर में बिल्कुल कसे हुए थे। वो किचन के प्लेटफॉर्म पर खड़ी कुछ कर रही थी। उसकी पीठ मेरी तरफ थी। अंशु के बिना पैंटी के नितम्भ काम करने के वजह से थरथरा जाते थे। और जैसे मुझसे कह रहे थे कि क्या तुम अपनी जवान बहन के इन गदराए नितंबो को प्रेम नही करोगे भाई। अपने सख़्त मोटे लिंग से गाढ़े वीर्य की धार से अपनी बहन के गुदा छिद्र को भर नहीं दोगे। तुम्हारी युवा विधवा बहन को तुम्हारे गाढ़े गरम वीर्य की बहुत जरूरत है।

क्या सोच रहे हो...कुछ लोगे क्या? अंशु की आवाज़ से मैं विचारों से बाहर आया।

लूंगा क्या, जो दे दो..मैंने कहा।

चाहता तो मैं अपना सख़्त लण्ड तुम्हारी गीली चूत में डालकर तुम्हारा पानी निकालना हूं। मैंने मन में सोचा।

अंशु हँसी और बोली अच्छा!! क्या लोगे बोलो। दे दूंगी।

हम दोनों हँसने लगे। अंशु अपना काम करने लगी।

मैंने एक प्लान बनाया की अगर अंशु के निप्पल किसी तरह दो तीन बार रगड़ दिए जाएं, और एक दो बार इसके मोटे चूतड़ों पर तेज थप्पड़ मारा जाएं, तो अंशु उज्जेजित हो सकती है, क्योंकि विधवा जवान औरत को रोज तो लंड नसीब नही होता, कभी कभी कोई रिश्तेदार मिल जाता है अकेले, तो जवानी का पानी निकाल देता है।
और अगर उसके बाद इसकी बगलों में गरम फूंक मारी जाए तो शायद ये मुझसे चुदवा लेगी। पर ऐसा होगा कैसे? प्लान तो था!

मैंने देखा कि बाथरूम के दरवाजे के पास दो दिन छोटे छोटे कॉकरोच हैं। मैंने चुपचाप उन्हें उठाया और चुपचाप अंशु की पीठ पर छोड़ दिया। जैसे ही वो रेंगते हुए अंशु की छाती पर पहुँचे, अंशु ज़ोर से चिल्लाने लगी, बस मैं दौड़ता हुए पहुँचा और पीछे से अंशु के दोनों स्तनों को दबोच लिया इससे पहले वो कुछ समझती की मैंने दोनों चुटकियों में उसके निप्पलों को पकड़ा और ज़ोर ज़ोर से मसलने लगा।
मेरा लिंग उसके फुले हुए नितम्बो की दरार में रगड़ रहा था।

आह उम्म हाए...मा...उफ्फ... अंशु की आह निकल गयी...छोड़ो मुझे प्लीज।
अंशु..मैंने दोनों को कस के मसल दिया।
हां, वो तो दिख रहा है। चलो जाओ बैठो जा कर।

मैं वापस पलटा और फिर झूठमूठ चिल्लाया...अरे अंशु, तुम्हारी कमर पर बड़ा कॉकरोच है।

अंशु चिल्लायी... जल्दी भगाओ उसे!!!

बस..मैंने तुरंत अंशु का लोअर नीचे खींच दिया, अंशू के सुडौल नितंब और मांसल जाँघे निवृत्त हो गयी। वो कुछ समझ पाती, की मैंने उसके बाएं चूतड़ पर कस के एक थप्पड़ मारा।

आह...अंशु दर्द से चिंहुक गयी।
मैंने उसके दायें चूतड़ पर फिर एक कस के थप्पड़ मारा और नितंबो को सहलाने लगा।

उम्म ह्म्म्म उम्म मम ...अंशु की मादक सीत्कार निकल गयी। वो बोली भाग गया न।

हांहां, मैं उसके लाल हो गए नितंबो को खूब दबा कर सहला रहा था।
ठीक है, बस करो, कह कर अंशु ने अपना लोअर ऊपर कर लिया...
थैंक यू। अंशु मुस्काई।

ये तो मेरा फ़र्ज़ है। अरे एक मिनट।
क्या हुआ??

ज़रा अपने दोनों हाथ ऊपर करो!!
क्यूँ?वो स्लीवलेस टीशर्ट पहने थी, तो उसे संकोच हुआ।
जल्दी करो, प्लीज अंशु।

अंशु ने हाथ ऊपर किये तो मैंने बारी बारी से उसके दोनों बगलों में अपनी सांस की गरम भाप डाली।

अंशु ने जल्दी से अपनी बाहें नीचे की और मुझे गुस्से से देखा और अपने नीचे के होंठ को चबाती हुई बोली...जाओ बेड पर बैठो।

क्या हुआ अंशु? मैंने मुस्कुराते पूछा।
कुछ नहीं...जाओ...काम करने दो।

क्या सोचकर तुमने मुझे टच किया। मैंने परमिशन दी तुम्हें। तुमनें तो सीधे मेरा लोअर ही नीचे कर दिया।

अंशु गुस्से से चिल्लाई... मेरी लोअर क्यों उतारी तुमने?

मैं संकोच से बोला...नहीं, अंशु ऐसी बात नही है। वो कॉकरोच...

अंशु ने गुस्से से फुफकारते हुए अपनी टीशर्ट उतार के फ़ेक दी, उसके बड़े बड़े स्तन बाहर आकर लटक गए। साले...हिम्मत है तो बोल ...मुझे नंगा देखेगा...बोल

फिर अंशु ने जल्दी से अपना लोअर उतारकर टॉवल बांध लिया।

मुझे बहुत गुस्सा आया...

अंशु चिल्लाई...बोलो न ...क्या देखोगे?

मैं गुस्से में बोला... साली, तेरी गदराई गाँड़।

अंशु हक्का बक्का रह गयी..ओह्ह...बहन की गदराई गाँड़ देखोगे, फिर कहोगे, चोदना भी है? अंशु फिर चीखने लगी।

हां, चोदना है तुम्हें। मैं भी चिल्ला कर बोला।

अपनी टॉवल जमीन पर गिराते हुए, अंशु बिल्कुल नीचे झुक कर बोली....लो देख लो पूरा नंगा।

औरत की नितम्भ बहुत पसंद हैं ना? अंशु के झुके झुके अपना चेहरा घुमाया।उसकी आंखें नागिन की तरह चमक रही थी।

सॉरी यार, बुरा मत मानो...बस अच्छे तो लगते हैं पर....पर तुम्हें कैसे पता ये सब? मेरी सांस अटकने लगी।

वो सीधी खड़ी हुई और मेरे कंधों पर अपने दोनों हाथ टिकाकर बोली...मेरी आँखों में देखो...

मैंने उसकी भूरी आंखों में देखा...वो मुस्कुराते हुए बोली...तुम्हें मेरे नितम्भ अच्छे लगे....या.....अपनी भाभो ....चन्दा के??

मेरी जान निकल गयी...अंशु वो ...प्लीज्... गलती से..किसी को मत बताना... मैं समझ नही पा रहा था कि क्या बोलूं।

याद करो आज से 20 साल पहले, जब बरसात की वो रात थी, जब तुम और चंदा पानी में भीगते हुए एक दूसरे से चूमा चाटी कर रहे थे। तब ये कैसे भूल गए कि मैं बगल के कमरे से लगी खिड़की से मैं सब देख रही थी। अंशु फुफकारते हुए बोली।

मैं... नहीं... लेकिन...तुम...मेरी सांस तेज चलने लगी थी।

उससे पहले तुमने मुझसे प्यार का इकरार किया था..पर मेरी दोस्त चन्दा को अपना पहला चुम्बन दिया। अब इसका बदला लूँगी मैं। तुम्हें बताउंगी की इस विधवा औरत में कितनी ताकत है अभी। हाहाहा... वो जोर से हँसी।

दूर कहीं बिजली कड़की...लगता है फिर होगी बरसात।



 
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