बारिश जोरों पर हो रही थी। साथ ही तेज़ हवा के झोंके मौसम को ठंडा करते जा रहे थे। चंदा की जीभ को मैं अपने होंठो से चूस रहा था। मेरा एक हाथ उस उस स्त्री के विशाल स्तन पर पहुच गया। पहाड़ों के ऊपर जमी बर्फ अब पिगलने लगी थी। मैंने चंदा को अपनी बाहों में उठा लिया। और बेड रूम में ले गया। बिजली चमकने से कमरे में नीली रोशनी आ रही थी। मैंने चंदा के सलवार का नज़ीरबन्द खोल दिया। वो पूरी निवस्त्र हो गयी। और शर्मा कर पलट कर खड़ी हो गयी। बिजली फिर चमकी, उसके पुष्ट चौड़े नितम्भ देखकर मैंने उसके पीछे से आलिंगन कर लिया, मेरा उतेजित यौन अंग उसके दोनों विशाल नितंबों की दरार में रगड़ रहा था। चन्दा की अंग से रिसाव होने लगा था।
मैंने पीछे से अपने दोनों हाथ आगे लेजाकर उसके कूचों का भरपूर मर्दन करना शुरू कर दिया। अब चंदा की पलकें भारी होने लगी थी।
वो मादक सीत्कारें भर रही थी। बारिश जोरों से हो रही थी।
चंदा थोड़ा आगे बढ़ी और फिर बेड पर लेट गयी। और पलट कर मेरी तरफ बाहें फैला कर देखने लगी। नग्न स्त्री का ये मौन आमंत्रण मुझे स्वीकार था।
मैं बिल्कुल निवस्त्र था, मैं चंदा के ऊपर लेट गया। उसके गरम स्तन मेरे सीने में धस गए, मेरे हाथ उसके बड़े बड़े नितंबो को दबा रहे थे। मेरा अंग चंदा के अंग के मुहाने पर टिका हुआ था। चंदा चुम्बनों की बौछार किये जा रही थी। अचानक कसकर बिजली कड़की। चंदा ने डर कर चीख मारी, उसकी दोनों जांघो के बीच कुछ दूरी हो गयी, योनि के ओंठ खुल गए, उसी वक़्त मेरा उतेजित लिंग झटके से उसकी चिकनी गहराई में उतरता चला गया।
ओह दद्दा....चंदा ने आनंद से मिले हुए मादक स्वर में बोला।
हम दोनों ने अपने वैवाहिक अनुभव का लाभ उठाते हुए लगभग पूरी रात न जाने कितनी बार संभोग किया। चंदा और मुझे कई बार चरम सुख प्राप्त हुआ। हमने हर तरीके से, हर मुद्रा में सहवास सुख प्राप्त किया।
चंदा ने मुझे यह रहस्य भी बता दीया की वो मुखमैथुन करने में विशेषज्ञ है। मेरे न स्वीकार करने पर उसके आधा घंटे तक मेरे अंग से मुख मैथुन किया। और वीर्य पान भी कर लिया।
अब मैं भी उसका योवन रस पीना चाहता था तो मैंने उसे कन्धों से पकड़ कर उठाया और बिस्तर पर गिरा लिया.
मैंने अब एक खास अवस्था में होकर उसके मुँह में अपना लिंग घुसा दिया और खुद उसकी योनि पर अपना चेहरा झुका दिया. एक कामोद्दीपक सुगन्ध मेरे नाक में भर गयी और मेरा लंड मेरे छोटे भी की बीवी के मुख में झटके मारने लगा.
मैं चंद्रप्रभा के मुख में अपना लंड पेलने लगा और 4-5 मिनट में ही उसके मुख में झड़ गया. वो भी मेरे वीर्य को चटनी की तरह चाट गयी. मैंने उसकी चूत को कुछ देर चाटा और फिर मैं उसके नंगे जिस्म पर सीधा होकर लेट गया. मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये और चूसने लगा.
मेरे मुख में मेरे वीर्य के अंश आ रहे थे और चंद्रप्रभा भी अपनी चूत के रस को मेरे होंठों पर से चूस रही थी.
चंद्रप्रभा के चेहरे पर मुझे कहीं भी किसी प्रकार की ग्लानि या शर्म नहीं दिख रही थी. वो मेरे साथ सेक्स का पूरा मजा ले रही थी. वो अपनी जीभ मेरे मुख में घुसा रही थी और मेरी जीभ को चूस भी रही थी.
चंद्रप्रभा के साथ चूमा चाटी करते करते ही मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा. उसे भी मेरे लंड के खड़े होने का आभास हुआ तो उसने अपना हाथ नीचे करके मेरा लंड पकड़ लिया और उसे अपनी चूत की दरार में रगड़ने लगी.
उसके मुख से अब सिसकारियाँ निकल रही थी.
2-3 मिनट में ही मेरा लंड अपने भाई की बीवी की चूत में घुसने के लिए तैयार हो गया था. मैंने चंद्रप्रभा को कहा कि लंड को अपनी चूत के छेद पर लगाए.
उसके मेरे लंड का सुपारा अपने छेद में रखा और खुद ही अपने चूतड़ उछाल कर मेरे लंड को अपनी चूत में घुसा लेने का प्रयास किया.
ऊपर से मैंने भी अपने चूतड़ों को झटका दिया तो मेरा लंड उसकी चूत में पूरा एक बार में ही घुस गया.
उसके मुख से आनन्द भरी आह निकली और उसके आनन्द से लिप्त चेहरे को देख मेरे अंदर और जोश भर गया, मैंने उसे जोर जोर से चोदना शुरू किया. वो भी नीचे से अपने कूल्हे उछाल कर चुदाई में साथ दे रही थी और पूरा मजा ले रही थी.
थोड़ी देर बाद उसने अपनी ऐड़ियाँ मेरे कूल्हों पर रख ली, अपने हाथ मेरी पीठ पर रख कर अपने नाखून मेरी पीठ में गड़ाने लगी.
कामवासना से वो पागल हुई जा रही थी. उसके मुख से सिसकारियाँ निकल रही थी. उसे ज़रा भी शर्म नहीं थी कि वो अपने जेठ से चुद रही है.
कुछ मिनट बाद उसने अपनी जांघें ऊपर उठानी शुरू कर दी. मैं समझ गया कि अब चंदा अपने चरमोत्कर्ष के करीब है. मैंने भी अपना पूरा जोर लगा कर उसे चोदना शुरू कर दिया.
और कुछ पल में वो गर्जन करती हुई झड़ने लगी. उसके गले से लम्बी लम्बी हांह … जैसी आवाजें निकल रही थी. मैंने अपना लंड उसकी चूत में पूरे जोर से गाड़ दिया.
वो थोड़ी निढाल हो गयी. उसकी आँखें बंद हो गयी, उसके चेहरे पर कामसंतुष्टि का आनन्द झलक रहा था.
लेकिन मेरा काम अभी अधूरा था. मुझे पता था कि अब मैं रीना की चुदाई करूंगा तो इसे तकलीफ होगी. लेकिन फिर भी मुझे भी तो परमानन्द प्राप्त करना था. मैंने 2-3 मिनट चंद्रप्रभा की चूत में झटके मारे और मैं भी अब अपने भाई की बीवी की चूत में बह गया.
मैं उसके नंगे बदन पर गिर गया और उसके होंठों पर होंठ रख कर चूसने लगा.
सम्भोग में जब नर और मादा दोनों बराबर सहयोग करें तो जो आनन्द दोनों को मिलता है, उसका कोई सानी नहीं.
हम दोनों को भी ऐसा ही आनन्द मिला था.
मैंने अपने प्रिय संभोग मुद्रा में चंदा को घोड़ी बनाकर मैथुन किया। उसके नितंबो से उठती मादक आवाज़ों से पूरा कमरा गूंज उठा था।
पूरी रात बारिश होती रही और मैं और चंद्रप्रभा रात भर एक दूसरे के तन से अपनी हवस मिटाते रहे।
सुबह का उजाला हर ओर फैल चुका था। चंदा अब भी नग्नावस्था में बिस्तर पर पड़ी थी। उसे ये याद नहीं था कि रात भर जिस पुरुष की बाहों में उसकी नस नस टूट रही थी, वो उसके जेठजी और वो उनकी भाभो है।
मैंने चंदा के माथे पर एक चुम्बन लिया, और कहा...गुड मॉर्निंग चाँद।।
चंदा की आंख जैसे ही खुली वो उछल कर बेड से उतरी और अपने बड़े स्तनों को अपनी हथेलियों से छुपाते हुए बाथरूम की और भागी।
कुछ देर बाद चंद्रप्रभा बाथरूम से एक नाईट गाउन पहने निकली। और डरते हुए बोली...दद्दा रात को मुझसे बहुत गलती हो गयी।
कोई बात नहीं चंदा, गलती दोनों की है, पर देखा तो किसी ने नहीं तो समझ लो कुछ हुआ ही नहीं... मैंने समझाया।
पर दद्दा, अंशु को पता चल ही जायेगा, अब क्या होगा।
अंशु उम्र 39 साल, लंबा कद, गोरा रंग, काले बाल, पतली कमर, सामान्य से कुछ बढ़े हुए स्तन, और थोड़ा सा ऊपर उठे हुए गुंदाज़ नितम्भ। अंशु विधवा है, और एक प्राइवेट स्कूल में इंग्लिश टीचर है। जो हमारे शहर से 50 किलोमीटर दूर हाइवे के किनारे स्थित है। वही अंशु स्कूल के फ्लैट में रहती है। रिश्ते में वो मेरी चचेरी बहन है, और उसकी माँ का घर मेरे घर के पास ही है।
अंशु को....मैं चौंक गया...पर कैसे??
अरे दद्दा, वो विधवा तंत्र मंत्र करती है, सब जान लेती है, आज कल यह आ रही है। अब क्या होगा, आप उससे मिल लो...देखो उसे कोई शक है क्या।
ओके...अब मैं चिंतित था
चंदा दौड़ कर मेरे सीने से लग गयी..आय लव यू दादा।
मैंने चंदा के दाएं नितम्भ पर चपत लगाई...पगली दद्दा मत बोलो अब तो।
दोनों मुस्कुराये और चुम्बन की बौछारें शुरू हो गईं।
तीन दिन बाद जैसे ही मुझे पता चला कि अंशू अपनी माँ के घर आई है, मैं उसके घर पहुच गया, मैंने गेट पर से आवाज़ दी, अंशु कमरे से निकली, गेट खोला मुझे देख कर मुस्कुराई और बेपरवाही से मटकती हुई वापस कमरे की तरफ बढ़ चली, तभी मेरी नज़र उसके नितंबों पर पड़ गयी। उसके जवान चूतड़ काफी बड़े और बाहर निकले हुए थे, और पतली कमर के दुगने चौड़े फैले भी थे। उसके चलने से उसके बड़े और गोल चूतड़ ऊपर नीचे हो रहे थे, और इतने कसे थे कि आपस मे रगड़ रहे थे। उसकी कुर्ती उसके बड़े नितंबो के ऊपर टंगी लग रही थी। मेरा लिंग तुरंत तन गया।
अंदर आ जाओ भाई... अंशु बोली...
मम्मी, मौसी के घर गयी हैं, मैं अकेली हूं घर पे। नहाने जा रही हूं, तुम बैठो, टीवी देखो...एक सांस में बोल गयी वो।
नहीं तुम आराम से नहाओ, मैं बाद में आया हूं... मैं धीमे से मुस्कुरा कर बोला।
ओके, कॉल कर देना...अंशु अपने भारी नितम्भ हिलाती हुई अंदर चली गयी।
मैंने अंदाज़ा लगाया कि आज छुट्टी है, पूरे हफ्ते बिजी रहने के बाद आज इस गदराई औरत को अपने जिस्म का खयाल रखने का टाइम मिला होगा। क्योंकि अंशु काफी फैशनबल और घमंडी औरत है, तो आज तो वो मौका नही छोड़ेगी।
12 बज रहे थे, काफी तेज धूप थी, हर तरफ सन्नाटा था,
मैंने इधर उधर देखा, कोई नही था, थोड़ा आगे बढ़कर उसके रूम की विंडो जो बाहर की तरफ खुलती थी, खुली हुई थी विंडो के बाहर पतली से गैलरी थी, जहां एक क्लॉथ स्टैंड रखा था, जो शायद अंशु का था, उस पर 2 पैंटी, 3 ब्रा जो सूख चुकी थी लटकी थी। मैंने खिड़की से अंदर झाँक कर देखा, कमरा खाली था, सामने किचन भी खाली था। खिड़कियों के बगल में ऊपर की तरफ एक रोशनदान था, जो बाथरूम का था। ध्यान से सुनने पर उसमे शावर की आवाज़ आ रही थी। मैंने इधर उधर देखा कोई नही था, गैलरी के सामने एक नीम का बड़ा पेड़ था, तो काफी आड़ थी, मैंने एक पैर गैलेरी की रेलिंग पर रखा, एक हाथ से खिड़की की रॉड को कस के पकड़ा, और रोशनदान तक पहुच गया, बहुत सावधानी से अंदर झांका, अंशु का सर दिखा जिस पर शावर से पानी गिर रहा था। और वो बालों पर शैम्पू लगा रही थी। मेरा दिल जोर जोर धड़कने लगा। मैंने दोनों पैर खिड़की के ऊपर रॉड पर रखे और रोशनदान की एक सरिया को कस के पकड़ा अब मेरा सर बिल्कुल रोशनदान पर था, इसमे एक एग्जॉस्ट फैन लगा था जो बन्द था। अब मैंने अंदर देखा, मेरा दिमाग भक्क से उड़ गया।
अंशु बिल्कुल नंगी नहा रही थी। 5 फ़ीट 5 इंच का इखेहरा मगर गदराया बदन, गोरा रंग, पूरे बदन पर एक भी बाल नहीं, बिल्कुल चिकनी चमकती गोरी गुलाबी जवानी, लंबे काले बाल, गुलाबी होंठ, बड़ी बड़ी चुचियाँ, हल्के भूरे रंग के बड़े निप्पल, जो बिल्कुल तने हुए थे। पतली सुडौल कमर, गोल नाभि, बिल्कुल चिकना गोरा कटी प्रदेश, चौड़ी कमर, फूली गोरी योनि, जिसके बीच मे थोड़ा सा खुले हुए योनि के होंठ। विशाल, चर्बी चढ़े गोरे चूतड़। जो काफी बाहर निकले थे। मोटी जांघे, पर सुडौल पिंडलियां।
मेरा लिंग अकड़ने लगा, मेरा दिमाग जम गया, इतनी सुंदर, सुगठित, सुडौल जवान औरत की नग्न अवस्था। पूरे बदन पर एक भी धागा नही, बिल्कुल नेचुरल। कुछ पल अपनी चचेरी बहन को बिल्कुल नंगा देखकर ख़ुद को संभाला, और पूरे बाथरूम का मुआयना किया, हेयर रिमूविंग क्रीम, मसाज क्रीम, स्क्रब, कोलन वाटर आदि रखे थे।
एक बड़ा सा टॉवल गाउन भी था, पर कोई इनरवेर नही थे, मैं समझ गया कि पैंटी और ब्रा तो बाहर पड़े हैं, एक प्लान बनाया मैंने, चुपचाप नीचे उतर कर पैंटी और ब्रा को लेजाकर अपनी गाड़ी में छुपा दिया। फिर वापस आकर उसी तरह रोशनदान से झाँकजर अंशु को कॉल किया, अंशु नहा चुकी थी, और एक टॉवल कमर में लपेट रही थी, उसके स्तन बिल्कुल नग्न थे। उसका फ़ोन बजा, वो बाथरूम से बाहर निकली, और फ़ोन उठाया, दरवाज़ा खुला रहने के कारण मुझे वो दिख रही थी, सिर्फ टॉवल लपेटे थी, और एक शीशे के आगे खड़ी होकर कॉल उठा कर बोली। शीशे में वो अपनी एक बाँह ऊपर करके अपनी बगल को देखती हुई बोली: हेलो...
हेलो, अंशु, नहा चुकी, मैं बाहर खड़ा हूँ, डोर पर, खोलो आकर।
अंशु कस के चौंकी: हांहां, आ रही हूं 2 मिनट रुको प्लीज। वो तेज़ी से बाथरूम में आई, उसकी चुचियाँ ज़ोर ज़ोर से उछल रही थी, उसने तुरंत टॉवल गाउन पहनी और उसकी बेल्ट कस के बांध ली, तब तक मैं दरवाजे पर पहुच गया।
उसने दरवाज़ा खोला, एक फ्रेश खुशबू का अहसास किया मैंने।
आओ अंदर आओ। अंशु बोली और साइड में हट गई!
अभी तो गए थे, इतनी जल्दी आ गए। अंशु ने पूछा।
हां, मैंने सोचा, यही वेट करूँ... मैंने जवाब दिया।
अंशु ने बाहर जाकर अपनी पैंटी-ब्रा को देखा, पर वहाँ नही मिली।
क्या हुआ अंशु?क्या ढूढं रही हो।
कुछ नहीं! कह कर अंशु अंदर आ गयी और दरवाज़ा बन्द किया और बोली, बैठो, खड़े क्यों हो।
अंशु ने अलमारी से एक लोअर और टीशर्ट निकली और बाथरूम में जाकर पहन ली, वो वापस आयी तो कुछ संकोच में थी, क्योंकि उसने ब्रा और पैंटी नही पहनी थी।
अंशु की चुचियाँ कुछ लटकी हुई थी, पर चूतड़ लोअर में बिल्कुल कसे हुए थे। वो किचन के प्लेटफॉर्म पर खड़ी कुछ कर रही थी। उसकी पीठ मेरी तरफ थी। अंशु के बिना पैंटी के नितम्भ काम करने के वजह से थरथरा जाते थे। और जैसे मुझसे कह रहे थे कि क्या तुम अपनी जवान बहन के इन गदराए नितंबो को प्रेम नही करोगे भाई। अपने सख़्त मोटे लिंग से गाढ़े वीर्य की धार से अपनी बहन के गुदा छिद्र को भर नहीं दोगे। तुम्हारी युवा विधवा बहन को तुम्हारे गाढ़े गरम वीर्य की बहुत जरूरत है।
क्या सोच रहे हो...कुछ लोगे क्या? अंशु की आवाज़ से मैं विचारों से बाहर आया।
लूंगा क्या, जो दे दो..मैंने कहा।
चाहता तो मैं अपना सख़्त लण्ड तुम्हारी गीली चूत में डालकर तुम्हारा पानी निकालना हूं। मैंने मन में सोचा।
अंशु हँसी और बोली अच्छा!! क्या लोगे बोलो। दे दूंगी।
हम दोनों हँसने लगे। अंशु अपना काम करने लगी।
मैंने एक प्लान बनाया की अगर अंशु के निप्पल किसी तरह दो तीन बार रगड़ दिए जाएं, और एक दो बार इसके मोटे चूतड़ों पर तेज थप्पड़ मारा जाएं, तो अंशु उज्जेजित हो सकती है, क्योंकि विधवा जवान औरत को रोज तो लंड नसीब नही होता, कभी कभी कोई रिश्तेदार मिल जाता है अकेले, तो जवानी का पानी निकाल देता है।
और अगर उसके बाद इसकी बगलों में गरम फूंक मारी जाए तो शायद ये मुझसे चुदवा लेगी। पर ऐसा होगा कैसे? प्लान तो था!
मैंने देखा कि बाथरूम के दरवाजे के पास दो दिन छोटे छोटे कॉकरोच हैं। मैंने चुपचाप उन्हें उठाया और चुपचाप अंशु की पीठ पर छोड़ दिया। जैसे ही वो रेंगते हुए अंशु की छाती पर पहुँचे, अंशु ज़ोर से चिल्लाने लगी, बस मैं दौड़ता हुए पहुँचा और पीछे से अंशु के दोनों स्तनों को दबोच लिया इससे पहले वो कुछ समझती की मैंने दोनों चुटकियों में उसके निप्पलों को पकड़ा और ज़ोर ज़ोर से मसलने लगा।
मेरा लिंग उसके फुले हुए नितम्बो की दरार में रगड़ रहा था।
आह उम्म हाए...मा...उफ्फ... अंशु की आह निकल गयी...छोड़ो मुझे प्लीज।
अंशु..मैंने दोनों को कस के मसल दिया।
हां, वो तो दिख रहा है। चलो जाओ बैठो जा कर।
मैं वापस पलटा और फिर झूठमूठ चिल्लाया...अरे अंशु, तुम्हारी कमर पर बड़ा कॉकरोच है।
अंशु चिल्लायी... जल्दी भगाओ उसे!!!
बस..मैंने तुरंत अंशु का लोअर नीचे खींच दिया, अंशू के सुडौल नितंब और मांसल जाँघे निवृत्त हो गयी। वो कुछ समझ पाती, की मैंने उसके बाएं चूतड़ पर कस के एक थप्पड़ मारा।
आह...अंशु दर्द से चिंहुक गयी।
मैंने उसके दायें चूतड़ पर फिर एक कस के थप्पड़ मारा और नितंबो को सहलाने लगा।
उम्म ह्म्म्म उम्म मम ...अंशु की मादक सीत्कार निकल गयी। वो बोली भाग गया न।
हांहां, मैं उसके लाल हो गए नितंबो को खूब दबा कर सहला रहा था।
ठीक है, बस करो, कह कर अंशु ने अपना लोअर ऊपर कर लिया...
थैंक यू। अंशु मुस्काई।
ये तो मेरा फ़र्ज़ है। अरे एक मिनट।
क्या हुआ??
ज़रा अपने दोनों हाथ ऊपर करो!!
क्यूँ?वो स्लीवलेस टीशर्ट पहने थी, तो उसे संकोच हुआ।
जल्दी करो, प्लीज अंशु।
अंशु ने हाथ ऊपर किये तो मैंने बारी बारी से उसके दोनों बगलों में अपनी सांस की गरम भाप डाली।
अंशु ने जल्दी से अपनी बाहें नीचे की और मुझे गुस्से से देखा और अपने नीचे के होंठ को चबाती हुई बोली...जाओ बेड पर बैठो।
क्या हुआ अंशु? मैंने मुस्कुराते पूछा।
कुछ नहीं...जाओ...काम करने दो।
क्या सोचकर तुमने मुझे टच किया। मैंने परमिशन दी तुम्हें। तुमनें तो सीधे मेरा लोअर ही नीचे कर दिया।
अंशु गुस्से से चिल्लाई... मेरी लोअर क्यों उतारी तुमने?
मैं संकोच से बोला...नहीं, अंशु ऐसी बात नही है। वो कॉकरोच...
अंशु ने गुस्से से फुफकारते हुए अपनी टीशर्ट उतार के फ़ेक दी, उसके बड़े बड़े स्तन बाहर आकर लटक गए। साले...हिम्मत है तो बोल ...मुझे नंगा देखेगा...बोल
फिर अंशु ने जल्दी से अपना लोअर उतारकर टॉवल बांध लिया।
मुझे बहुत गुस्सा आया...
अंशु चिल्लाई...बोलो न ...क्या देखोगे?
मैं गुस्से में बोला... साली, तेरी गदराई गाँड़।
अंशु हक्का बक्का रह गयी..ओह्ह...बहन की गदराई गाँड़ देखोगे, फिर कहोगे, चोदना भी है? अंशु फिर चीखने लगी।
हां, चोदना है तुम्हें। मैं भी चिल्ला कर बोला।
अपनी टॉवल जमीन पर गिराते हुए, अंशु बिल्कुल नीचे झुक कर बोली....लो देख लो पूरा नंगा।
औरत की नितम्भ बहुत पसंद हैं ना? अंशु के झुके झुके अपना चेहरा घुमाया।उसकी आंखें नागिन की तरह चमक रही थी।
सॉरी यार, बुरा मत मानो...बस अच्छे तो लगते हैं पर....पर तुम्हें कैसे पता ये सब? मेरी सांस अटकने लगी।
वो सीधी खड़ी हुई और मेरे कंधों पर अपने दोनों हाथ टिकाकर बोली...मेरी आँखों में देखो...
मैंने उसकी भूरी आंखों में देखा...वो मुस्कुराते हुए बोली...तुम्हें मेरे नितम्भ अच्छे लगे....या.....अपनी भाभो ....चन्दा के??
मेरी जान निकल गयी...अंशु वो ...प्लीज्... गलती से..किसी को मत बताना... मैं समझ नही पा रहा था कि क्या बोलूं।
याद करो आज से 20 साल पहले, जब बरसात की वो रात थी, जब तुम और चंदा पानी में भीगते हुए एक दूसरे से चूमा चाटी कर रहे थे। तब ये कैसे भूल गए कि मैं बगल के कमरे से लगी खिड़की से मैं सब देख रही थी। अंशु फुफकारते हुए बोली।
मैं... नहीं... लेकिन...तुम...मेरी सांस तेज चलने लगी थी।
उससे पहले तुमने मुझसे प्यार का इकरार किया था..पर मेरी दोस्त चन्दा को अपना पहला चुम्बन दिया। अब इसका बदला लूँगी मैं। तुम्हें बताउंगी की इस विधवा औरत में कितनी ताकत है अभी। हाहाहा... वो जोर से हँसी।
दूर कहीं बिजली कड़की...लगता है फिर होगी बरसात।